उम्मीदें और रिश्ते
उम्मीदें और रिश्ते
हर ख्वाब पे पहरा, हर कोशिश पे सवाल है,
बच्चों के दिलों में क्यों इतना बवाल है।
तुम्हारी उम्मीदें आसमान को छूती हैं,
हमारी हकीकत ज़मीनों पे बेहाल है।
हम कोशिशों के क़ैदी, तुम फैसलों के जज,
हर जीत भी यहाँ हार का कोई हाल है।
हम भी हैं इंसान, पर तुम्हारी निगाह में,
हर कमी हमारा, बस एक बेमिसाल है।
खुद से ही खफा हैं, खुद पर ही गुस्सा हैं,
हर कोशिश का हासिल तो बस सवाल है।
समझो जरा दिल को, इस मासूम ख्वाब को,
रिश्तों में समझ ही हर जुड़ाव की ढाल है।
उम्मीद को सांचे में ढालो हमारी मूरत,
हर शक्ल में छिपा एक खूबसूरत खयाल है।