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19 Dec 2022 · 1 min read

उपहार

दो वक्त की रोटी के खातिर-
-सड़कों पर लाचार, परेशान-
-बेबस इंसान-
एक उम्मीद की किरण-
-कुछ अनजान शख्स-
चेहरे पर एक मुस्कान लिए-
-हाथों को बढ़ाते-
-बोलते खा लो दादा-
-मेरे जन्मदिवस का यह उपहार-
-आज बनेगा आपका आहार….

डॉ माधवी मिश्रा ‘ शुचि ‘

Language: Hindi
2 Likes · 1 Comment · 97 Views
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