“उपहार छतरी” #100 शब्दों की कहानी#
पहले झमाझम बारिश हुआ करती,मां ने जतन से रखी पापा की “उपहार-छतरी”, वहीं छतरी मांग ली चचेरी बहन ने ।
मैं कॉलेज से भीगकर आई, मुझे दोबारा जाना फीस भरने, अब जरूरत पड़ी छाते की । पता चला, बहन छाता ऑटो में गई भूल, पर ऑटोचालक स्वयं छतरी वापिस कर गया ।
छतरी को हाथ मे उठाते ही ऐसा लगा मानो भगवानजी ने मुंहमांगी मुराद पूरी कर दी हो । मैंने यह निश्चय किया,मां की अमूल्य-छतरी ठीक उसी प्रकार रखूंगी, जिस तरह मां अपने बच्चे का ध्यान रखती है । छतरियों के तोहफे सहायता-केंद्र में दानस्वरूप भेंट किए हमने ।