उपदेश
उपदेश
उपदेश क्या है? युगो- युगो से चले आ रहे सत्कर्मों के लिए प्रेरित करने वाले वचन, अच्छी सलाह , सीख महान संतों एवं विद्वानों द्वारा धर्म एवं नीति संबंधी बताई गई उत्तम बातें।उन्हीं के पद चिन्हों पर चलते चलते विश्व में अनेकों जन महाविद्वान ,अवतार संत, उच्च कोटि के प्रवक्ता हुए जिन्होंने विश्व में अपनी पहचान बनाई और अनेकों पूजनीय भी हो गए और आज तक संसार में पूजे जाते हैं। कुछ महा विद्वानों के उपदेशानुसार कई धर्म भी उत्पन्न हुए और उनका अनुसरण हो रहा है। उपदेशों के माध्यम से ही महा विद्वानों ने अपने-अपने धर्म ,देशकाल, संस्कृति के अनुसार उपदेश दिए और अपने असभ्य समाज को सभ्य बनाया। प्राचीन समय में निरक्षर समाज होने के कारण साधुओं संतो द्वारा देश -विदेश घूम-घूम कर उपदेश देने से ही धर्म का प्रचार -प्रसार होता था। उपदेश देने वाले महा विद्वान साधु संत अवतारोंके नाम तो जग विदित है कहने की तो बात नहीं हम सभी भी आज तक उनकी शिक्षाओं को पढ़ते वह सुनाते हैं।और उनका अनुसरण करते हैं अनेकों विद्वानों ने अपने अपने गुरुओं के सानिध्य में रहकर उपदेश प्राप्त कर परम पद प्राप्त किया परंतु नास्तिक लोग वही के वही रह गए।कहते हैं कि बिना इच्छा और बिना मांगे सलाह या उपदेश नहीं देना चाहिए, इससे उपदेश देने वाले का अपमान होता है और ज्ञान की हानि। गर्भ से कोई भी प्राणी कुछ सीख कर नहीं आता उसे तो संसार में आकर ही सब कुछ प्राप्त करना पड़ता है।
ललिता कश्यप गांव सायर जिला बिलासपुर ( हि० प्र०)