उपदेश से तृप्त किया ।
ज्ञान पाने को बुद्ध ने,
दूर – दूर तक भ्रमण किया,
भिक्षाटन करते हुए,
शरीर को जीवन दिया,
दिया मानव को ज्ञान,
उपदेश से तृप्त किया ।
राज महलो के भोग विलास को,
त्याग कर वैरागी बना,
दुःख का कारण ज्ञात करने,
एक चीवर में ज्ञान का तप किया,
तृष्णा से विरक्त हुआ,
उपदेश से तृप्त किया।
बाँध न सके कोई बंधन,
राग मोह लोभ क्रोध पर विजय पाया,
‘ अप्प दीपो भव ‘ कह ,
मानव को सत्य मार्ग दिखाया,
दुःख का है यह संसार,
उपदेश से तृप्त किया ।
प्रज्ञा शील और करुणा का पथ,
निर्वाण का भी मार्ग दिया,
छह वर्षो की तपस्या में,
बुद्धत्व का जो ज्ञान हुआ,
‘ भिक्खु चरति ‘ मोह से विमुक्ति,
उपदेश से तृप्त किया ।
रचनाकार –
बुद्ध प्रकाश,
मौदहा हमीरपुर ।