उपकार
दुख ही है जिनका संसार,
जो जीवन से जाते हार।
कभी न उनसे कटु बोलना,
कर देना इतना उपकार।
ओ दुनिया का पालनहार,
करना हम पर यह उपकार।
सत्कर्मों की राह चलें हम,
शुद्ध रहें आचार विचार।
रंजना माथुर
अजमेर (राजस्थान )
मेरी स्व रचित व मौलिक रचना
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