उन्हें बताएं क्या
लोग पूछते हैं हमसे, मगर उन्हें बताएं क्या?
दाग दिल के किसी को दिखाएं क्या।
इस दामन को थाम सकते थे जो,
उनको तो कदर ही नहीं है हमारी,
फिर हम उन्हें अपनाएं क्या।
कभी अपने बसते थे वहां, पर आज गैरों की नगरी है,
हम अपना हाले दिल किसी को सुनाएं क्या।
किस पर पत्थर फेंक रहे हो ए ज़माने वालो, ये दिल तो पहले से ही ज़ख्मी है,
कितने जख्म हैं इस पर, अब तुमको गिनवाए क्या।
अपने ही चिराग से जले हुए हैं हाथ हमारे,
हम इस पर अब कोई मरहम लगाए क्या।