“ उन्मुक्त गगन के हम पक्षी “
“ उन्मुक्त गगन के हम पक्षी “
डॉ लक्ष्मण झा “ परिमल “
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पंख फैलाये उड़ जा पक्षी ,
दूर देश तुम चलते जाओ !
अपने जैसे लोग जहाँ हो ,
उनके साथ ही समय बिताओ !!
जहाँ बंधन ना हो ,
ना कोई पहरा ,
अंकुश ना हो ,
ना जख्म हो गहरा !!
जहाँ बंधन ना हो ,
ना कोई पहरा ,
अंकुश ना हो ,
ना जख्म हो गहरा !!
दिल ना दुखे अपनों से कभी ,
उन्मुक्त गगन में तुम उड़ जाओ !
अपने जैसे लोग जहाँ हो ,
उनके साथ ही समय बिताओ !!
सीमा ना हो ,
ना कोई दीवारें ,
ना आँगन हो ,
ना चौबारें !!
सीमा ना हो ,
ना कोई दीवारें ,
ना आँगन हो ,
ना चौबारें !!
खुले गगन में उड़ जाओ निश-दिन ,
नितदिन नव सुंदर घोंसला बनाओ !
अपने जैसे लोग जहाँ हो ,
उनके साथ ही समय बिताओ !!
धर्मों से हमको क्या ,
सबके हम प्रेमी हैं ,
मंदिर ही नहीं ,
मस्जिद के भी स्नेही हैं !!
धर्मों से हमको क्या ,
सबके हम प्रेमी हैं ,
मंदिर ही नहीं ,
मस्जिद के भी स्नेही हैं !!
तुम उड़कर गुंबज पर धुनि रमाओ ,
कभी स्तूपों पर तुम चढ़ जाओ !
अपने जैसे लोग जहाँ हो ,
उनके साथ ही समय बिताओ !!
धन दौलत से ,
कहो क्या करना ?
दिनभर घूम के ,
दाना चुगना !!
धन दौलत से ,
कहो क्या करना ?
दिनभर घूम के ,
दाना चुगना !!
आज तुम खा लो मौज मनाओ ,
कल की बात को खुद समझाओ !
अपने जैसे लोग जहाँ हो ,
उनके साथ ही समय बिताओ !!
प्रकृति का साथ ,
रहे जीवन भर ,
रोग मुक्त रहें ,
तुम सदियों तक !!
प्रकृति का साथ ,
रहे जीवन भर ,
रोग मुक्त रहें ,
तुम सदियों तक !!
बाल ना बांका कर पाए तुमको ,
स्वच्छ वायु को पाते जाओ !
अपने जैसे लोग जहाँ हो ,
उनके साथ ही समय बिताओ !!
जंगल नदियाँ ,
फूल – पत्तियाँ ,
हैं मेरे प्रिय ये ,
हरी लत्तियाँ !!
जंगल नदियाँ ,
फूल – पत्तियाँ ,
हैं मेरे प्रिय ये ,
हरी लत्तियाँ !!
इनको नष्ट करते ये मानव ,
इनको भी कोई सीख सिखाओ !
अपने जैसे लोग जहाँ हो ,
उनके साथ ही समय बिताओ !!
तुममें कोई ,
गैर नहीं है ,
नर -नारी का ,
भेद नहीं है !!
तुममें कोई ,
गैर नहीं है ,
नर -नारी का ,
भेद नहीं है !!
द्वेषरहित तुम हम लोगों को ,
अपना पाठ सबों को पढ़ाते जाओ !
अपने जैसे लोग जहाँ हो ,
उनके साथ ही समय बिताओ !!
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डॉ लक्ष्मण झा “ परिमल “
साउन्ड हेल्थ क्लिनिक
एस 0 पी 0 कॉलेज रोड
दुमका ,झारखंड
भारत