उन्मादी जनता और बदलाव के मायने —
बदलाव का उन्मादी रूप और जनता ……..भाग 2
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नेताओं और पार्टियों के अनुसार यह जीत ‘ जनता ‘ की जीत है पर जनता केवल एक शब्द ना होकर सामूहिक अवधारणा है ,साथ ही यह व्यक्तिगत ना होकर एक समूह का परिचायक है जहां जनता शब्द में ‘ किसान ,अभ्यर्थी , बेरोजगार , व्यापारी , गृहिणी , मजदूर सभी वर्ग आते है ,,,,चलिए मान भी लेते है कि यह जीत जनता की है पर क्या अगले 5 वर्षो तक सत्ता जनता के हाथों में रहेगी या केवल क्षणिक स्तिथि दिखाकर या जीत में उन्मादी जनता के लिए बदलाव का वास्तविक अर्थ समझना थोड़ा मुश्किल हो जाता है —
चलिए मैं समझा देता हूं –एक किसान जो वर्तमान सरकार से रुष्ट होकर अपना वोट करती है एक मतदाता किसी तरह के प्रलोभन में आकर वोट देती है ,, एक नौकरीपेशा अपनी नियमितता सबंधी या अन्य किसी मामलो से नाउम्मीद होकर किसी बेहतर को चुनती हो , , एक महिला जो किसी पृरुष के कहने पर या दबाव में आकर वोट देती हैं यह पृरुष भाई ,पति , दोस्त या पिता हो सकता है ,एक उम्रदराज व्यक्ति जो अपने जिंदगी के अंतिम पड़ाव में आकर केवल इसलिए वोट देता है क्योंकि यह उसकी जिंदगी का अंतिम वोट होगा , एक मतदाता जो केवल जात्ति या धर्म के आधार पर वोट देने का चुनाव करता है ,एक वोटर जो पार्टी विशेष का अंधभक्त या चमचा होकर बिना प्रत्याशी देखे वोट देता है ,,,,,,,
और ये वर्ग ‘ जनता ‘ है सभी को वोट देने की मानसिकता बिल्कुल अलग होती है क्योंकि वो बदलाव चाहता है या परिवर्तन चाहता है ,,,,जो बदलाव के तुरन्त बाद उन्मादी या गैर जिम्मेदार भी नजर आती है कोई एक ‘ जनता ‘ होती है जो शराब पीकर हुड़दंग मचाती है , एक जनता होती है जो ‘ नेताओं के साथ सेल्फी को सोशल मीडिया में पोस्ट करती है , एक जनता होती है जो विरोधी के या हारे हुए प्रत्याशी के घर के सामने तेज dj चलाती या पटाखे फोड़ती है , एक जनता होती है जो रैली निकालकर या अन्य गतिविधि से अपने बाहुबल या सत्ता का प्रदर्शन करती है — इस जनता का उन्मादी होना , शराबी होना , असामाजिक हो जाना सब स्वीकार्य है क्योंकि ये बदलाव जनता लाई है ……
“पर –पर …कल कोई किसान आंदोलन करेगा तो वो केवल किसान होगा जनता नही , कल जब कोई नौकरी मांगेगा तो वो केवल बेरोजगार या किसी विशेष जाति का होगा जनता नही ,,कल कोई रेप के खिलाफ कैंडल मार्च करेगा तो वह जनता नही होगी और ना ही जनता के निर्णय स्वीकार किये जायेंगे उस समय ‘ माननीय न्याय व्यवस्था ‘ के नाम पर ठग लिया जाएगा , जब मितानिन वर्ग आंदोलन करेगा तो वो केवल अनियमित कर्मचारी होंन्गे जनता नही , ,
अब कोई मंत्री बनेगा कोई मुख्यमन्त्री , बहुमत पार्टी के विधायक भी चाहेंगे कि वो व्यक्ति किसी बड़े मंत्री पद पर जाए और उसके सहारे सत्ता का उपयोग या दुरुपयोग किया जा सके , मतलब साफ है कि विधायक बनने के बाद मंत्री और मंत्री के बाद मुख्यमंत्री की लालसा बनी रहेगी और कौन व्यक्ति मंत्री या मुख्यमंत्री बनेगा इस निर्णय जनता नही पार्टी हाई-कमान लेगी और अब यह जनता जाति , जिले , सम्भाग , धर्म व कई वर्गों में बटी होगी जो अगले 5 सालो तक ‘ जनता ‘ होकर भी ‘ बदलाव वाली जनता ‘ नही होगी —-
इस ‘जनता ‘को विधायक या मंत्री से मिलने से पहले परमिशन लेना होगा , किसी भीड़ का हिस्सा बनना होगा , किसी रैली पथराई आंखों से इंतजार करना होगा, जब नेताओ की गाड़ी गुजरे तो जनता को अपनी गाड़ी रोकनी होगी भले ही कितना महत्वपूर्ण काम क्यों ना हो ,,,,
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वास्तविक बदलाव का आकलन अगले पोस्ट में —-शुक्रिया