Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
27 Apr 2024 · 1 min read

*उधो मन न भये दस बीस*

लेखक – डॉ अरुण कुमार शास्त्री – स्थान दिल्ली
विषय संवेदना
शीर्षक – उधो मन न भये दस बीस
विधा स्वछंद काव्य

प्रेम का निसर्ग और उन्मान अति निराला होता है ।
प्रेम के लिए लैंगिक प्रतिमान निरर्थक होता है ।

माँ का प्रेम अपनी संतान के लिए नैसर्गिक कहलाता ।
स्वार्थ रहित इस प्रेम का अर्थ कौन है समझ पाता ।

पिता के प्रेम का आधार कभी स्पष्ट नहीं होता ।
लेकिन बिना पिता के संतति विकास पूरा नहीं होता ।

राधा माधव निर्गुण जीव पृथ्वी लोक पर प्रगट हुये ।
गोप गोपिका उनके संग से अध्यात्म रूप से निखर गए ।

प्रेम का निसर्ग और उन्मान अति निराला होता है ।
प्रेम के लिए लैंगिक प्रतिमान निरर्थक होता है ।

बिन संवेदना के देखो लोगों इंसान पनप नहीं पाता है ।
सिर्फ पाँच तत्व का माँस लोथड़ा मानस ये रह जाता है ।

नारी पुरुष के आकर्षण में संवेदना का समावेश न हो ।
ऐसा चमत्कार तो भाइयों विष तिनदुक हो जाता है ।

जो प्राणी करते मनमानी वे संवेदन शील कहाँ होते हैं ।
बात – बात पर दिल को दुखाते नमक बुरकते रहते हैं ।

प्रेम का निसर्ग और उन्मान अति निराला होता है ।
प्रेम के लिए लैंगिक प्रतिमान निरर्थक होता है ।

तेरा मेरा बहुत सुन लिया अब मन मेरा धबराता है ।
मानव जनम मिला है देखो काहे इसे गँवाता है ।

3 Likes · 113 Views
Books from DR ARUN KUMAR SHASTRI
View all

You may also like these posts

गले लगाना पड़ता है
गले लगाना पड़ता है
हिमांशु बडोनी (दयानिधि)
बारिश
बारिश
ओमप्रकाश भारती *ओम्*
दोहा छंद भाग 2
दोहा छंद भाग 2
मधुसूदन गौतम
मनमीत
मनमीत
लक्ष्मी सिंह
सुख - एक अहसास ....
सुख - एक अहसास ....
sushil sarna
" मौत की राह "
Dr. Kishan tandon kranti
उसने विडियो काल किया था मुझे
उसने विडियो काल किया था मुझे
Harinarayan Tanha
23/94.*छत्तीसगढ़ी पूर्णिका*
23/94.*छत्तीसगढ़ी पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
काग़ज़ो के फूल में ख़ुशबू कहाँ से लाओगे
काग़ज़ो के फूल में ख़ुशबू कहाँ से लाओगे
अंसार एटवी
*पत्रिका समीक्षा*
*पत्रिका समीक्षा*
Ravi Prakash
ये दो बूंद अश्रु मेरे.....
ये दो बूंद अश्रु मेरे.....
पं अंजू पांडेय अश्रु
नफ़रतों के जो शोले........,भड़कने लगे
नफ़रतों के जो शोले........,भड़कने लगे
पंकज परिंदा
फूल तो फूल होते हैं
फूल तो फूल होते हैं
Neeraj Agarwal
महालय।
महालय।
रामनाथ साहू 'ननकी' (छ.ग.)
तुम्हें भूल नहीं सकता कभी
तुम्हें भूल नहीं सकता कभी
gurudeenverma198
*मौन*
*मौन*
Priyank Upadhyay
विषय
विषय
Rituraj shivem verma
अद्यावधि शिक्षा मां अनन्तपर्यन्तं नयति।
अद्यावधि शिक्षा मां अनन्तपर्यन्तं नयति।
शक्ति राव मणि
घर-घर तिरंगा
घर-घर तिरंगा
Jeewan Singh 'जीवनसवारो'
दिल
दिल
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
हार
हार
पूर्वार्थ
"सच"
Khajan Singh Nain
आविष्कार एक स्वर्णिम अवसर की तलाश है।
आविष्कार एक स्वर्णिम अवसर की तलाश है।
Rj Anand Prajapati
प्रेम!
प्रेम!
कविता झा ‘गीत’
मुझे अपने हाथों अपना मुकद्दर बनाना है
मुझे अपने हाथों अपना मुकद्दर बनाना है
Suman (Aditi Angel 🧚🏻)
दहेज एक समस्या– गीत।
दहेज एक समस्या– गीत।
Abhishek Soni
संवेदनाएं
संवेदनाएं
Dr.Pratibha Prakash
ध
*प्रणय*
उदास राहें
उदास राहें
शशि कांत श्रीवास्तव
मेरी भी कहानी कुछ अजीब है....!
मेरी भी कहानी कुछ अजीब है....!
singh kunwar sarvendra vikram
Loading...