उदास हूँ मैं…
बेहद उदास है मन..
शायद सांसो ने अपनी
रफ्तार छोड़ी है
य़ा फ़िर धड़कनों का क्रम
या फ़िर कुछ यादें टूट कर
बिखर गई हैं किरच सी
मन के आँगन में.
हाँ.. मन बहुत उदास है..
शायद जीवन बगिया में
यादों के सुखे हुये फूलों की
पंखुड़ियों से
एक आह सी निकली है,
य़ा फिर
कुछ अबूझ अनजाने से
मेरे एहसास कुछ कह रहे हैं.
हाँ …मन उदास है…
टूटी हैं कुछ उम्मीदें शायद.
कितना अजीब सा होता है
खुद से खुद का रूठ जाना
भावनाओं का ठिठक जाना
जम जाना अनुभूतियों का..
और फिर पत्थर हो जाना.
हाँ, सच है..
बहुत उदास हूँ मैं
हिमांशु Kulshrestha