उत्सव
आज सबको दशहरा पर्व का बोनस मिला था।सब अत्यधिक खुश होकर पर्व मनाने की योजना बना रहे थे ।नमन ने सोचा, अपनी प्यारी पत्नी दीवा के लिए सोने की चेन ले लेता हूँ, खुश हो जायेगी ।आॅफिस से लौटते वक्त वह ज्वेलर्स शाॅप में गया ।अभी तो सोने पर छूट चल रहा है; ठीक रहेगा, उसने सोचा ।दीवा को सरप्राइज दूंगा, एक अच्छी सी चेन रोजमर्रा के लिए दिखाने को कहा ।दाम पूछा, बत्तीस हजार में छोटी चेन लग रही थी।थोड़ी लंबी देखी तो छत्तीस हजार की थी।और ले लगा कर बयालीस हजार की थी, दीवा को पसंद आयेगी ।फोटो खींच कर दीवा को भेजा, बहुत पसंद आया उसे ।बिल बनाने को बोलने ही वाला था कि फोन आ गया, अजीत का था।उसका प्रिय मित्र प्राइवेट स्कूल में टीचर था।बहुत परेशान था।उसकी माँ का पित्त की थैली में पथरी का आॅपरेशन था।कहीं से तीस हजार का इंतजाम कर दो,मेरे पास सिर्फ पंद्रह हजार रूपये हैं ।कल माँ का आॅपरेशन है ।एक सेकेण्ड के लिए नमन परेशान हो गया ।उसने दुकानदार को बोला,”अभी छोड़ दीजिए, बाद में आकर ले लूंगा ।दुकान से बाहर निकला तो अजीत को फोन लगाया, अपना एकाउंट नंबर दो।दो घंटे में भेज दूंगा ।”
घर आकर उसने दीवा से सारी बातें बताईं।दीवा ने कहा, ” कोई बात नहीं, बाद में ले लेंगे ।अजीत की माँ की जान बच जाये, यही हमारे लिए माँ दुर्गा का हमारे लिए उत्सव का उपहार होगा।ऐसे ह्रदय वाले आप मेरे लिए सबसे बड़े उपहार हैं ।”नमन ने दीवा को गले से लगा लिया ।