Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
30 Aug 2021 · 4 min read

उत्पीड़न, पंचायत, समझौता व दबाव

उत्पीड़न, पंचायत, समझौता व दबाव
-विनोद सिल्ला

मानव, मानव के रूप में पैदा होता है। जन्म उपरान्त उसे, मानव नहीं रहने दिया जाता। मानव की मानवता को, हर रोज नये-नये बल दिये जाते हैं। कभी जाति का, धर्म का, लिंग भेद का, भाषावाद का, क्षेत्रवाद का, ऊंच-नीच, अगड़े-पिछड़े इत्यादि के इतने बल दिए जाते हैं कि मानवता के अवशेष तक खत्म हो जाते हैं। मानव इन्हीं दकियानूसी दायरों तक अपने आप को सीमित कर लेता है। अपनी सोच के दायरे को सीमित कर लेता है। मानव, मानव से बहुत दूर चला जाता है। यह मानव की प्रकृति के साथ खिलवाड़ है। जातीय दंगे, भेदभाव, नफरत, घृणा, उत्पीड़न सब इसी के दुष्परिणाम हैं। इसी के परिणाम- स्वरूप मानव वर्ग, वर्ण, मत, मतांतर, संप्रदाय, धर्म-मजहब, व हजारों जातियों व उपजातियों में बंट गया। मानव भीड़ में भी अकेला हो गया। दूसरे मानव उसे मानव प्रतीत नहीं होते। वे उसे किसी न किसी जाति-धर्म के प्रतिनिधि प्रतीत होते हैं।
लोग मानव होने पर नहीं बल्कि अपनी जाति पर गर्व करते हैं। प्रत्येक जाति-उपजाति अपना दबदबा कायम रखने के लिए संघर्षरत है। विवाह-शादी, क्रय-विक्रय, कार- व्यवहार तक जाति से बाहर नहीं किए जाते। अगर कोई जातिवादी समाज के दकियानूसी रिवाजों की अवहेलना कर भी ले तो, ऑनर-किलिंग, मॉब लींचिंग जैसे जघन्य अपराधों को झेलना पड़ता है। ऐसे हालात में साधनहीन, वंचित, समाज में अंतिम पायदान पर धकेले गए लोगों का शोषण व उत्पीड़न अत्यधिक होता है। यहाँ तक कि इनको मानव भी नहीं समझा जाता। इनके साथ पशुओं से बदतर व्यवहार किया जाता है। इनके साथ बर्बरता और संवेदनहीनता पूर्ण अमानवीय व्यवहार किया जाता है। शादी में शुद्र की घुड़चढ़ी नहीं निकलने दी जाती। जिस मंदिर में कुत्ता घुस सकता है। उसी मंदिर में अनुसूचित जाति/जन जाति के व्यक्ति को घुसने नहीं दिया जाता। धारणा है कि अनुसूचित जाति/जन जाति का व्यक्ति पूजा करेगा तो ईश्वर अपवित्र हो जाएगा। हाथरस में वाल्मीकि समाज की युवती के साथ ठाकुरों की बिगड़ैल औलादों ने सामूहिक दुष्कर्म किया। पीड़िता की जीभ काट दी ताकि, वो ब्यान भी न दे सके। इस जघन्य अपराध में, पुलिस, प्रशासन व राज्य सरकार ने भी बलात्कारियों का साथ दिया। मानवता तो तब शर्मसार हुई, जब पुलिस व प्रशासन ने आनन-फानन में परिजनों की अनुपस्थिति में पीड़िता के पार्थिव देह को आग के हवाले करके सबूत तक नष्ट कर दिए।
21 अप्रैल 2010 को हरियाणा के हिसार जिले के मिर्चपुर गाँव के सैंकड़ों जाटों ने वाल्मीकि बस्ती पर धावा बोल दिया। लूट-पाट व तोड़-फोड़ करके, दंगेबाजों ने बस्ती को आग के हवाले कर दिया। जिस हृदयविदारक कुख्यात हादसे में एक वृद्ध और एक अपंग युवती, उसी आग में जिंदा जल गए। पंचायतों, खाप-पंचायतों के दौर चले। मामले को रफा-दफा करने के तमाम ओछे हथकंडे अपनाए गए। सैंकड़ों उपद्रवियों पर मामला दर्ज हुआ। कोलेजियम के अवतारो ने सैंकड़ों अपराधियों में से बीस अपराधियों को उम्रकैद की सजा दी। मिर्चपुर, हरसोला, समीरपुर, भगाणा के पीड़ित घर से बेघर होकर आज दर ब दर अपनी परेशानी लिए भटक रहे हैं।
हरियाणा का एक भी जिला ऐसा नहीं है जिसके किसी न किसी हिस्से में बाबा साहब डॉ. भीमराव अम्बेडकर की प्रतिमा खंडित न की गई हो या प्रतिमा लगाने का विवाद न हुआ हो। वर्तमान का ताजा मामला हरियाणा के फतेहाबाद जिले के टोहाना उपमंडल के गांव बुआन का है। जहां पर अनुसूचित जाति के लोगों द्वारा बाबा साहब डॉ. भीम राव अम्बेडकर की प्रतिमा लगाया जाना जाट, बिश्नोई व ब्राह्मण समाज को नागवार गुजरा। सैंकड़ों हरियाणा पुलिस कर्मियों व सैंकडों सी. आर. पी. एफ. के सैनिकों के सामने ही एक सिरफिरा शरारती असामाजिक युवक, बाबा साहब की प्रतिमा को खंडित करने का प्रयास करता है। एक महिला ने भी बाबा साहब की प्रतिमा को गोबर लगाकर अपमानित किया। प्रशासन, पुलिस प्रशासन व सत्ता में बैठे लोग भी प्रतिमा को अपमानित करने वालों के साथ साज-बाज थे। सत्राताधीश राजनेता हर संभव प्रयासरत रहे कि Sc/St Act के तहत एफ. आई. आर. दर्ज न हो। लेकिन मामला दर्ज तो हो गया। इसके तुरंत बाद, हरियाणा के हिसार जिले के कोथ गांव में अनुसूचित जाति के बच्चे ने गलती से जाट समाज का हुक्का छू लिया तो उस बच्चे को बुुुरी तरह से पीटा गया। खापड़ गांव के अनुसूचित जाति के बच्चे को दबंंगों ने चोरी का इल्ज़ाम लगा कर पीटा। मध्य प्रदेश के भील आदिवासी को गाड़ी के पीछे बांधकर घसीटा गया। जिसके कारण उसकी मौत हो गई। इनके जाने कितनी वाारदात होती हैैं। जो किसी भी संज्ञान में नहीं आती। हर बार भाईचारा बनाए रखने की समूची जिम्‍मेदारी अनुसूचित जाति/जन जाति के पीड़ितों पर ही डाली दी जाती है। कोई जातिसूचक गालियां दे, बाबा साहब की प्रतिमा खंडित करे, सामाजिक बहिष्कार करे, घुड़चढ़ी पर घोड़ी से उतारे, दलित महिलाओं से यौनाचार, बलात्कार करे। तब भाईचारा खराब नहीं होता। एफ. आई. आर. दर्ज होने पर ही भाईचारा खराब होता है। ऐसा भाईचारा, भाईचारा न होकर, गुलाम बनाए रखने का षड़यंत्र मात्र होता है। दलित, शोषित, वंचित, पीड़ित व महिलाओं ने ऐसे भाईचारे को तिलांजलि दे देनी चाहिए। जो समता की बात नहीं करता, समता की सोच नहीं रखता, उससे पीड़ितों का क्या भाईचारा हो सकता है। जितना सामाजिक बदलाव के प्रयास किए जाएंगे। उतना ही आपका विरोध होगा। उनके विरोध को दरकिनार करके, सामाजिक परिवर्तन के लिए हर संभव प्रयास करने होंगे। हालांकि राजनीतिक परिवर्तन भी जरूरी लेकिन राजनीतिक बदलाव मात्र पांच वर्ष के लिए होता है। जबकि सामाजिक बदलाव हजारों वर्ष के लिए होता है।
शोषित पीड़ितों ने उधार की संस्कृति, उधार के रीति-रिवाजों को भी छोड़ना होगा। जो धार्मिक, सामाजिक व राजनीतिक संस्थाएं अनुसूचित जाति/जन जातियों संवैधानिक हक-अधिकारों पर कुठाराघात करती हैं। ऐसी संस्थाओं को आर्थिक या अन्य किसी भी प्रकार का सहयोग करना बंद करना होगा। हमें प्रगतिशील, तर्कशील बनकर वैज्ञानिक दृष्टिकोण अपनाकर जीवन यापन करना होगा। आत्मनिर्भर बनना होगा। हमारे पिछड़ेपन का एकमात्र कारण अशिक्षा है। समाधान उच्च शिक्षा है। शिक्षा एक मात्र ईलाज है। इस पुराने से पुराने रोग का। उच्च शिक्षा ही सामाजिक, राजनीतिक व आर्थिक सभी तरह की आजादी देगी।

कॉपी राइट लेखकाधीन

Language: Hindi
Tag: लेख
1 Like · 3 Comments · 201 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
ये नामुमकिन है कि...
ये नामुमकिन है कि...
Ravi Betulwala
मेरा होकर मिलो
मेरा होकर मिलो
Mahetaru madhukar
*मनः संवाद----*
*मनः संवाद----*
रामनाथ साहू 'ननकी' (छ.ग.)
जीवन दर्शन (नील पदम् के दोहे)
जीवन दर्शन (नील पदम् के दोहे)
दीपक नील पदम् { Deepak Kumar Srivastava "Neel Padam" }
ज़िंदगी तेरा
ज़िंदगी तेरा
Dr fauzia Naseem shad
लक्ष्य
लक्ष्य
Suraj Mehra
आपका भविष्य आपके वर्तमान पर निर्भर करता है, क्योंकि जब आप वर
आपका भविष्य आपके वर्तमान पर निर्भर करता है, क्योंकि जब आप वर
Ravikesh Jha
आ..भी जाओ मानसून,
आ..भी जाओ मानसून,
goutam shaw
जो औरों के बारे में कुछ सोचेगा
जो औरों के बारे में कुछ सोचेगा
Ajit Kumar "Karn"
मन मोहन हे मुरली मनोहर !
मन मोहन हे मुरली मनोहर !
Saraswati Bajpai
वह फूल हूँ
वह फूल हूँ
Pt. Brajesh Kumar Nayak / पं बृजेश कुमार नायक
विचार
विचार
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
दुनिया रंग दिखाती है
दुनिया रंग दिखाती है
Surinder blackpen
वो प्यार ही क्या जिसमें रुसवाई ना हो,
वो प्यार ही क्या जिसमें रुसवाई ना हो,
रुपेश कुमार
चोट दिल  पर ही खाई है
चोट दिल पर ही खाई है
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
हारना नहीं, हार मानना गुनाह है। हालात से।। (प्रणय)
हारना नहीं, हार मानना गुनाह है। हालात से।। (प्रणय)
*प्रणय*
International Hindi Day
International Hindi Day
Tushar Jagawat
तुम मुझे भूल जाओ यह लाजिमी हैं ।
तुम मुझे भूल जाओ यह लाजिमी हैं ।
Ashwini sharma
मैं एक फरियाद लिए बैठा हूँ
मैं एक फरियाद लिए बैठा हूँ
Bhupendra Rawat
भटकती रही संतान सामाजिक मूल्यों से,
भटकती रही संतान सामाजिक मूल्यों से,
ओनिका सेतिया 'अनु '
*भेदा जिसने है चक्रव्यूह, वह ही अभिमन्यु कहाता है (राधेश्याम
*भेदा जिसने है चक्रव्यूह, वह ही अभिमन्यु कहाता है (राधेश्याम
Ravi Prakash
युगांतर
युगांतर
Suryakant Dwivedi
काव्य-अनुभव और काव्य-अनुभूति
काव्य-अनुभव और काव्य-अनुभूति
कवि रमेशराज
हजारों के बीच भी हम तन्हा हो जाते हैं,
हजारों के बीच भी हम तन्हा हो जाते हैं,
लक्ष्मी वर्मा प्रतीक्षा
देव दीपावली कार्तिक पूर्णिमा
देव दीपावली कार्तिक पूर्णिमा
सुरेश कुमार चतुर्वेदी
3412⚘ *पूर्णिका* ⚘
3412⚘ *पूर्णिका* ⚘
Dr.Khedu Bharti
"नेवला की सोच"
Dr. Kishan tandon kranti
साँसें थम सी जाती है
साँसें थम सी जाती है
Chitra Bisht
सांसें स्याही, धड़कनें कलम की साज बन गई,
सांसें स्याही, धड़कनें कलम की साज बन गई,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
रास्तों पर चलते-चलते
रास्तों पर चलते-चलते
VINOD CHAUHAN
Loading...