उत्कोच कवच
हामिद साहब की पोस्टिंग करीमगंज थाना में थानाध्यक्ष के रुप में हुई।उनकी पदस्थापना से इस इलाके में रहने वाले उनके समुदाय के बहुत सारे लोग खुश थे।यहाँ के होटल मालिक अहमद खाँ भी खुश था।एक दिन उसने अपने होटल में उन्हें दावत दी।तहे दिल से खातिरदारी की गई।एक से एक लज़ीज व्यंजन परोसे गये।साहब गदगद हो गए।
“मियाँ,आपने तो मेरा दिल खुश कर दिया।आपके होटल का सबसे बेहतरीन कमरा कौन सा है?जरा दिखलाइए ।”
वे उन्हें कमरा दिखलाने ले गए।कमरा वाकई बड़ा,साफसुथरा ,हवादार,और वातानुकूलित था।साहब ने तुरंत अपने ड्राइवर से कहा-“सुनो,जा कर हमारा सामान यहाँ ले आओ।आज से मैं इसी कमरे का उपयोग करूंगा।”
यह सुन कर उनका मुँह लटक गया।अब कर भी क्या सकते थे।
एक दिन की बात है,अहमद का किसी से लफड़ा हो गया।बात बहुत आगे बढ़ गई।दोनों एक दूसरे के खिलाफ रपट लिखवाने थाना पहुँच गए।साहब क्राइम मींटिग में गये थे।छोटा दारोगा ने दोनों पक्षों से पूरी जानकारी हासिल की।कुछ घंटों में साहब भी आ गए।अहमद के चेहरे खिल उठे।छोटा दारोगा ने उन्हें पूरी जानकारी से अवगत कराया।
साहब ने उन्हें अलग ले जा कर कहा-“मियाँ,मामला तो गंभीर लग रहा है।आप तो शरीफ लोग है।बात आगे बढ़ी तो आपकी इज्ज़त नीलाम हो जाएगी।ऐसा कीजिए,आप पचास हजार का इंतज़ाम कीजिए।मैं सब रफादफा करवा दुंगा।आपको तो पता ही होगा ऊपरवालों का मुँह बंद करना पड़ता है।”
मियाँ सन्न रह गए।बहुत गिड़गिड़ाने के बाद चालीस हजार पर मामला निपटाया गया।
उनके जाने के बाद दारोगा ने साहब से पूछा-“सर,आपने इन्हें भी नही बक्शा?
“मियाँ,घोड़ा घास से दोस्ती करेगा तो खायेगा क्या?”
दोनों ने जोरदार ठहाका लगाया….।