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4 Oct 2023 · 1 min read

उड़ रहा खग पंख फैलाए गगन में।

उड़ रहा खग पंख फैलाए गगन में।
बढ़ रहा है मंजिलों की ओर धुन में।
जिन्दगी का दे रहा संदेश अविरल।
खूब छलका जा रहा उल्लास मन में।
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-सुरेन्द्रपाल वैद्य, ०४/१०/२०२३

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