उड़ चल रे परिंदे….
उड़ चल रे परिंदे,
उड़ चल रे परिंदे,
अपना कोई नहीं यहां,
रूठा लगता सारा जहां,
तू बता रे अब ठहरे कहां,
ले चल रे मुझे दूर वहां,
जहां न किसी से बैर हो,
जहां न कोई फिर गैर हो,
जहां न लोभ का फेर हो,
जहां न झूठ का ढेर हो,
ले चल रे परिंदे,
ले चल रे परिंदे ,