ओ रावण की बहना
ओ रावण की बहना तू मान मेरा कहना
हम आज हुए वनवासी कुछ भी पास नहीं
अरे हम वापस जिंदा जाए यह भी आप नहीं
पति-पत्नी हम पास खड़े में कौन आया आज कुंवारा
14 साल का मिला दसौटा में फिरता मारा मारा
रहू भूखा प्यासा वन में ना लता कपड़ा तन में
मैं वन में कंगला फिरू करूं उपहास नहीं
राजमहल में दया करें जो हो सै राजकुमारी
सब मर्यादा तोड़ देई तू हांड मारी मारी
तेरे साथ नहीं कोई नाती क्यों हांड ढक्के खाती
किसको कैसे समझाऊं कोई साथ नहीं
मेरा छोटा भाई छैल छबीला है मुझसे शरमाया
अगर तेरी ले बात मान तेरा हो जा मन का चाहा
जा उसको समझा ले तु किस्मत आजमाले
वह समझदार है काफी करें निराश नहीं
बलदेव सिंह कहे हया शर्म कर कुछ तो तू शर्मा ले
राजकुमार मिल जाएंगे काफी खुद तेरे देखे भाले
तू पीछा छोड़ हमारा ना होगा तेरा गुजरा
तू हरदम पली ऐश में रही निराश नहीं