उठे ली सात बजे अईठे ली ढेर
उठे ली सात बजे अईठे ली ढेर
हई बेहाया,पिटउर बनेली शेर
नजरी में तनको नाही शील बा
केहू कुछ हू कहे नाही फील बा
चले ली डांणे पर हाथ धर के
ढंग सहुर के नाम पर नील बा
रात के दुवार पे गप मारेली अबेर
हई बेहाया , पिटऊर बनेली शेर
खूब हिरोइन बनेली मारेली एक्शन
रहे ली गर्मी में जैसे रेलवे जंक्शन
लंहगा के साथे पहिने ली बूट
शादी, त्योहार चाहे कौनो फंग्शन
काम जहां रहेला मुंह ले ली फेर
हई बेहाया पिटऊर बनेली शेर।
बढ़िया समान फेके ली कूड़ा में
कचड़ा डाले ली घर के चूल्हा में
सिलवट एकदम सटा दे ली देवाली में
केश झाड़ के डाले ली चूल्हा में
हई चतुर आगे पीछे देली घेर
हई बेहाया, पिटऊर बनेली शेर।
नूर फातिमा खातून “नूरी”
जिला -कुशीनगर
उत्तर प्रदेश
मौलिक स्वरचित