ई वी अम पर आज
आती है यह सोच कर, मुझे बहुत ही लाज !
ई वी अम पर आज क्यों, उठी नही आवाज !
उठी नही आवाज, डरे थे कल तक सारे !
करते थे जो शोर, निगोड़े डर के मारे !!
बेशर्मी की छाँव, हमेशा इन्हें सुहाती !
आई थी कब हया,आज जो इनको आती !
रमेश शर्मा