ईश्वर
ईश्वर की मिली जब पनाह,
खुशियाँ मिली तब अथाह,
ना कोई चिन्ता ना दुःख,
ना निकलती दिल से आह।
अंक का मिला सुखद आभास,
मिलाऊ कैसे ईश्वर से निगाह ,
सब कुछ तो मिल गया मुझे,
दिल हो गया मेरा अब इंशिराह।
किस्मत संवर गई मेरी देखो आज,
जीवन अनमोल ना निकले आह,
ईश्वर सुनो मेरी तुम एक अरदास,
तेरे चरणों में रहूँ सदा हो बेपरवाह ।।
डा राजमती पोखरना सुराना
भीलवाड़ा राजस्थान
#साहित्य _सागर