ईश्वर प्रेम पियासा
ईश्वर ढूंढ रहे हो यारों पैसों में।
देख रहा ईश अब कैसे कैसों में।।
खुद को भूले कि मनुवतारी हो।
सारे जीवों के तुम्हीं प्रभारी हो।।
मायावश तुमने सबका व्यापार किया।
ईश बनूं, मानवता को ही मार दिया।।
पालक ने भेजा तुमको पालन करने को।
अत्याचार किया सबपर शासन करने को।।
मायापति तो प्रेम, त्याग और तप में बसते है।
पैसों में नहीं अपितु भक्तो के दिल में रहते है।।