Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
2 Aug 2024 · 1 min read

ईश्वर प्रेम पियासा

ईश्वर ढूंढ रहे हो यारों पैसों में।
देख रहा ईश अब कैसे कैसों में।।

खुद को भूले कि मनुवतारी हो।
सारे जीवों के तुम्हीं प्रभारी हो।।

मायावश तुमने सबका व्यापार किया।
ईश बनूं, मानवता को ही मार दिया।।

पालक ने भेजा तुमको पालन करने को।
अत्याचार किया सबपर शासन करने को।।

मायापति तो प्रेम, त्याग और तप में बसते है।
पैसों में नहीं अपितु भक्तो के दिल में रहते है।।

Language: Hindi
2 Likes · 62 Views

You may also like these posts

बुंदेली दोहे- ततइया (बर्र)
बुंदेली दोहे- ततइया (बर्र)
राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'
*आँखों से  ना  दूर होती*
*आँखों से ना दूर होती*
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
आओ उर के द्वार
आओ उर के द्वार
PRATIBHA ARYA (प्रतिभा आर्य )
मुझे तारे पसंद हैं
मुझे तारे पसंद हैं
ruby kumari
मेरे फितरत में ही नहीं है
मेरे फितरत में ही नहीं है
नेताम आर सी
नंगा चालीसा [ रमेशराज ]
नंगा चालीसा [ रमेशराज ]
कवि रमेशराज
ख़ामोश
ख़ामोश
अंकित आजाद गुप्ता
किसी से कम नही नारी जमाने को बताना है
किसी से कम नही नारी जमाने को बताना है
Dr Archana Gupta
कुंडलिया (मैल सब मिट जाते है)
कुंडलिया (मैल सब मिट जाते है)
गुमनाम 'बाबा'
मां कूष्मांडा
मां कूष्मांडा
सुरेश कुमार चतुर्वेदी
ग़ज़ल-न जाने किसलिए
ग़ज़ल-न जाने किसलिए
Shyam Vashishtha 'शाहिद'
"हिंदी भाषा है, समाज का गौरव दर्पण"
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
पधारो नंद के लाला
पधारो नंद के लाला
Sukeshini Budhawne
4614.*पूर्णिका*
4614.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
पराधीन
पराधीन
उमा झा
वक्त
वक्त
Ramswaroop Dinkar
जिन स्वप्नों में जीना चाही
जिन स्वप्नों में जीना चाही
Indu Singh
🙅आज🙅
🙅आज🙅
*प्रणय*
सैल्यूट है थॉमस तुझे
सैल्यूट है थॉमस तुझे
Dr. Kishan tandon kranti
रिश्तों में वक्त
रिश्तों में वक्त
पूर्वार्थ
हमने तुम्हें क्या समझा था,
हमने तुम्हें क्या समझा था,
ओनिका सेतिया 'अनु '
आदित्य(सूरज)!
आदित्य(सूरज)!
Abhinay Krishna Prajapati-.-(kavyash)
कैसा फसाना है
कैसा फसाना है
Dinesh Kumar Gangwar
छंटेगा तम सूरज निकलेगा
छंटेगा तम सूरज निकलेगा
Dheerja Sharma
शिक्षा सबसे अच्छी मित्र हैं , एक शिक्षित व्यक्ति हर जगह सम्म
शिक्षा सबसे अच्छी मित्र हैं , एक शिक्षित व्यक्ति हर जगह सम्म
Raju Gajbhiye
सुबह की प्याली से उठने वाली
सुबह की प्याली से उठने वाली
"एकांत "उमेश*
रखो माहौल का पूरा ध्यान
रखो माहौल का पूरा ध्यान
Umesh उमेश शुक्ल Shukla
मंज़िल मिली उसी को इसी इक लगन के साथ
मंज़िल मिली उसी को इसी इक लगन के साथ
अंसार एटवी
लिखूं कविता
लिखूं कविता
Santosh kumar Miri
हम जिएंगे, ऐ दोस्त
हम जिएंगे, ऐ दोस्त
Shekhar Chandra Mitra
Loading...