ईश्वर पूजा और हमारा चरित्र
हम ईश्वर को पूजते हैं..मन्त्र पढ़ते हैं..उनके चरित्र के बारे में सुनते हैं और सुनाते हैं लेकिन उनके चरित्र को अगर थोड़ा सा भी आत्मसात कर पाये तो समझना चाहिए पूजा सफ़ल है..नहीं तो ये सब व्यर्थ है..इतिहास कहता है..राम,लक्ष्मण,सीता,हनुमान,कृष्ण,राधा ये सब त्रेता..द्वापर युग के महापुरुष..नारी हुए हैं जिनके महान चरित्र और सुन्दर व्यक्तित्व के कारण वे हमेशा के लिये पूजनीय हो गये…अगर ध्यान से..सच्चे मन से इनके बारे में पढ़ा सुना जाये तो एक जीवन सार मिलता है जो हमें निस्वार्थ प्रेम,त्याग,प्राण जाये पर वचन न जाये..आदि का पाठ पढ़ाता है..हमारे सारे प्रश्नों के उत्तर हमारे पुराणो,वेदोंं में हैं..आजकल भी लोग पूजा पाठ करते हैं..फिर भी लोग स्वार्थी क्यों हैं..फिर भी अपराध क्यों हैं..फिर भी लोग निष्कपट क्यों नहीं है..क्योंकि ढोंग ज्यादा बढ़ गये हैं..अपने ईष्ट देव के चरित्र से प्रेरणा लेकर यदि हम जीवन जीने लगेंगे तो शायद ये जीवन सफ़ल हो जाये..एक अच्छे समाज और आजकल के भटकते टूटते रिश्तो के लिये ये सब करना बहुत ज़रूरी है..जय श्री कृष्ण..जय श्री राम ??