**** ईश्वर का उपहार ****
**** ईश्वर का उपहार ****
राजू सुबह उठते ही गरम पानी नहाने हेतु चूले पर रख दिया | फिर बाथरूम में आकर नित्य कार्य करने लगा |
रोज की तरह आज भी राजू ने पानी फर्श पर गिरा दिया था | जैसे ही जया ने देखा , उसका पारा चढ़ गया और
गुस्से से बड़बड़ाते चिल्लाते हुए जोर – जोर से ऊँचे आवाज़ में सुबह – सुबह कुछ बुरा – भला राजू को कहने
लगी | राजू ने सुना और उदास चेहरा लेकर निचे आकर दरवाजे पास बैठ गया |
थोड़ी देर बाद एक फेरीवाले महाराज आये , राजू का उदास चेहरा देखकर कहने लगे महोदय ऐसे उदास
क्यों जी ? क्या हुआ …. क्या बताऊ महाराज मेरी पत्नी जया रोज – रोज की मेरी आदत व रोज फर्श
पर पानी गिराने से हरदिन कहासुनी होती है और रोज दिन ख़राब होता है महाराज | मैं बहोत गुस्सा हूँ
महाराज ? सभी गलतियां और चिल्लाना जया ही करती है महाराज ?
महाराज विचार करने लगे और बोला आपका धोबी कौन है ? क्या बोल रहे महाराज ? अरे भाई
आपके रोज के मैले कपड़े कौन धोता है ? राजू बोला मेरी पत्नी जया | आप का भोजन , बच्चे , मेहमान ,
आप के सुख – दुःख में , आपके बीमारी में सब में आपकी पत्नी ही कार्य करती है , आपको पैसे के लेनदेन
में भी मार्गदर्शन करती है ? पत्नी थोड़ा क्या बोली , उसका बहुत गुस्सा आया | उसकी आपको सहयोग
की भावना , उसकी खुबिया आपको याद नहीं आयी | आपकी पत्नी की उपयोगिता जानो राजू भाई |
जाओ माफ़ी मांगो और दो मीठे – मीठे बोल बोलकर तिल-गुड़ खा के पत्नी की हमेशा देखभाल करो ,
क्यों की पत्नी ईश्वर का दिया एक महत्वपूर्ण उपहार है | जी महाराज |
– राजू गजभिये
दर्शना मार्गदर्शन केंद्र , बदनावर जिला धार ( मध्यप्रदेश )