ईर्ष्या
आज के बच्चे कल के नेता
निश्चल जीवन वही विजेता
खेल -खिलंदड़,मौज-मस्ती
जीवन की असली पूंजी
सबसे अच्छी होती है यारो यह उम्र
रोटी की न चिंता ,न कोई फिकर
ईर्ष्या द्वेष ना भेदभाव यह जाने
बस प्यार की भाषा यह पहचाने
जीवन का अतुलित उपवन
नानी का घर और प्यारा बचपन
नैनों में सलोने सपने सजते
पंख खोल खूब उड़ते
मन में निश्छलता रहती आंखों में भरोसा
उम्र की कोई संख्या हो बचपन रहे हमेशा।