Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
19 Nov 2023 · 2 min read

ईमानदारी

ईमानदारी

‘‘समोसे ले लो, समोसे । मूंगबड़े ले लो । गरमागरम समोसे, मूंगबड़े ले लो ।’’ साइकिल के पीछे बक्सा बांधकर समोसे बेचने वाले की आवाज सुनकर अपने सरकारी बंगले के गार्डन में पौधों को पानी दे रहे शर्माजी ने उसे अपने पास बुलाया । जब वह पास आया, तो शर्माजी ने उससे पूछा, ‘‘ये समोसे और मूंगबड़े बनाए किसने हैं ?’’
उसने डरते हुए बताया, ‘‘इन्हें मैं और मेरी पत्नी मिलकर बनाते हैं साहब ।’’
शर्माजी ने पूछा, “साफ-सफाई का ध्यान रखते हो कि कुछ भी मिलाकर बना देते हो ?”
‘‘बिल्कुल नहीं साहब । सारा काम हम खुद ही करते हैं । हम साफ-सफाई का पूरा ध्यान रखते हैं । कमाई भले थोड़ी कम होती है, पर हम लोगों की सेहत से खिलवाड़ नहीं कर सकते ।’’ उसने कहा ।
‘‘विचार तो तुम्हारे बहुत ही अच्छे हैं । कहीं दुकान लगाकर क्यों नहीं बेचते हो ?’’ शर्माजी ने पूछा ।
‘‘बाबूजी मुझ गरीब की इतनी हैसियत कहाँ कि मैं कहीं दुकान खोल सकूँ । इसलिए रोज अपनी हैसियत के मुताबिक दो डब्बों में समोसे और मूंगबड़े भरकर गलियों में घूम-घूम कर बेचता हूँ ।’’ उसने अपनी व्यथा बताई ।
‘‘अच्छा ठीक है, दिखाओ जरा हमें भी अपने समोसे और मूंगबड़े ।’’ शर्माजी ने कहा ।
‘‘हाँ हाँ, क्यों नहीं । ये देखिए ।’’ उसने डब्बे के ढक्कन खोल दिए ।
गरम समोसे, मूगबड़े और धनिया-टमाटर की चटनी की खुशबू शर्माजी को बेकाबू करने लगे । उन्होंने कहा, ‘‘लग तो रहे हैं बहुत ही स्वादिष्ट होंगे । अच्छा एक काम करो । पचास-पचास रुपए की दोनों दे दो ।’’
‘‘साहब आप ?’’ वह आश्चर्य से पूछा ।
‘‘क्यों ? इसमें आश्चर्य की क्या बात है ?’’ शर्माजी ने कहा ।
‘‘दरअसल बात ये है साहब, कि मुझे आज पहली बार कोई बंगले में रहने वाले का ऑर्डर मिल रहा है । आज तक तो मैंने झुग्गी-झोपड़ी और गली मुहल्ले में ही बेचा हूँ । वो तो आज मैं गलती से इधर आ भटका हूँ ।’’ उसने समोसे और मूंगबड़े देते हुए बताया ।
‘‘ठीक है । अब से तुम कभी-कभी इधर भी आ जाया करना । मैं यहाँ कॉलोनी के मेरे कुछ पड़ोसियों को भी बता दूँगा । तुम्हारे समोसे, मुंगबड़े और तुम्हारी एक फोटो भी व्हाट्सएप पर शेयर कर दूंगा। इससे वे भी तुमसे खरीद लेंगे । और हां यदि तुम चाहो तो वो जो शहर के छोर में तहसील ऑफिस है न, दोपहर में लंच टाइम के आसपास वहां भी आ सकते हो। कोई कुछ बोले तो मुझे फोन कर बता देना । मैं ही वहां का तहसीलदार हूं । ये मेरा कार्ड है । अपने पास रखो । इसमें मेरा नाम और मोबाइल नंबर लिखा हुआ है ।’’ शर्माजी ने टेस्ट करने के बाद उसे प्रोत्साहित करते हुए कहा ।
डॉ. प्रदीप कुमार शर्मा
रायपुर, छत्तीसगढ़

316 Views

You may also like these posts

Please Help Me...
Please Help Me...
Srishty Bansal
मेरा तकिया
मेरा तकिया
Madhu Shah
ये मतलबी ज़माना, इंसानियत का जमाना नहीं,
ये मतलबी ज़माना, इंसानियत का जमाना नहीं,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
Story of homo sapient
Story of homo sapient
Shashi Mahajan
अपना गम देख कर घबरा गए
अपना गम देख कर घबरा गए
Girija Arora
वीर शिवा की धरती है ये, इसको नमन करे संसार।
वीर शिवा की धरती है ये, इसको नमन करे संसार।
अटल मुरादाबादी(ओज व व्यंग्य )
पता नहीं किस डरसे
पता नहीं किस डरसे
Laxmi Narayan Gupta
"पाठशाला"
Dr. Kishan tandon kranti
अपना नैनीताल...
अपना नैनीताल...
डॉ.सीमा अग्रवाल
भजन - माॅं नर्मदा का
भजन - माॅं नर्मदा का
अरविन्द राजपूत 'कल्प'
3378⚘ *पूर्णिका* ⚘
3378⚘ *पूर्णिका* ⚘
Dr.Khedu Bharti
बे
बे
*प्रणय*
Dafavip là 1 cái tên đã không còn xa lạ với những người cá c
Dafavip là 1 cái tên đã không còn xa lạ với những người cá c
Dafavipbiz
*तेरी याद*
*तेरी याद*
सुरेन्द्र शर्मा 'शिव'
आंखों की चमक ऐसी, बिजली सी चमकने दो।
आंखों की चमक ऐसी, बिजली सी चमकने दो।
सत्य कुमार प्रेमी
बेरहम आँधियाँ!
बेरहम आँधियाँ!
Pradeep Shoree
शब्द पिरामिड
शब्द पिरामिड
Rambali Mishra
“बसता प्रभु हृदय में , उसे बाहर क्यों ढूँढता है”
“बसता प्रभु हृदय में , उसे बाहर क्यों ढूँढता है”
Neeraj kumar Soni
मोर मुकुट संग होली
मोर मुकुट संग होली
Dinesh Kumar Gangwar
सोच
सोच
Shyam Sundar Subramanian
रिटायमेंट (शब्द चित्र)
रिटायमेंट (शब्द चित्र)
Suryakant Dwivedi
प्रेम सच्चा अगर नहीं होता ।
प्रेम सच्चा अगर नहीं होता ।
Jyoti Shrivastava(ज्योटी श्रीवास्तव)
बता दिया करो मुझसे मेरी गलतिया!
बता दिया करो मुझसे मेरी गलतिया!
शेखर सिंह
सत्यमेव जयते
सत्यमेव जयते
Ghanshyam Poddar
मजदूर का दर्द (कोरोना काल )– गीत
मजदूर का दर्द (कोरोना काल )– गीत
Abhishek Soni
नौ दिन
नौ दिन
Dr.Pratibha Prakash
दर्द शिद्दत को पार कर आया
दर्द शिद्दत को पार कर आया
Dr fauzia Naseem shad
नव-निवेदन
नव-निवेदन
Jeewan Singh 'जीवनसवारो'
बदली मन की भावना, बदली है  मनुहार।
बदली मन की भावना, बदली है मनुहार।
Arvind trivedi
#ਪੁਕਾਰ
#ਪੁਕਾਰ
वेदप्रकाश लाम्बा लाम्बा जी
Loading...