ईमानदारी
आज के दौर में ईमानदार लोग ढूँढे नहीं मिलते। ख़ुदगर्ज़ी के इस ज़माने में सौ में दो चार लोग ही ईमानदार होंगे। इन दो चार ईमानदार लोगों को भी लोग ईमानदारी करने नहीं देना चाहते। दर असल आजकल ईमानदार आदमी को बेवकूफ समझा जाता है और बेईमान आदमी को होशियार और चालाक समझा जाता है । आज के दौर में सबसे हैरान करने वाली बात यह है कि हर कोई दूसरे से यह उम्मीद करता है कि वह ईमानदारी करे जबकि खुद बेईमानी का कोई मौक़ा गँवाना नही चाहता। अब ईमानदारी तो उस ख़ूबसूरत तवायफ़ की तरह हो गयी है जिसे पसंद तो सब करते हैं मगर अपनाना कोई नही चाहता। अगर हम वाक़ई ईमानदारी को पसंद करते हैं तो हमें पहले खुद उसे अपनाना होगा। जब तक हम खुद ईमानदार नही होंगे तब तक हमें दूसरों से ईमानदारी की उम्मीद ही नहीं करनी चाहिए और न ही किसी की ईमानदारी पर उँगली उठाने का हमें कोई हक है।