**** ईदी मुझे मिल जाये ****
ख़्वाब ऐसे कातिलों से गुजर रहे हैं
वो हमारे होने से जो मुकर रहे हैं
कल ईद है दीद उनका हो ना हो
स्वप्न हमारे कत्ल जो ऐसे हो रहे हैं ।।
चलो चलें अब सो जाते हैं
इक दूजे के अब हो जाते है
ईद आये उससे पहले हम
इक – दूजे में खो जाते हैं।।
ईद पर तेरा और मेरा जो ये मिलन हो जाये
ईदी मुझे मिल जाये और कयामत हो जाये ।।
?मधुप बैरागी