इ सभ संसार दे
मोन सँ हे गौरी, सजना के पियार दे,
कलकत्ता सँ लौट आय, पावस फुहार दे।
गंगा मैया सँ दुलार लए कऽ तनिक उधार
अंचरी लहराय के, इ सब संसार दे।
निरमोही के बात कहू, हियरा पर बिसराय,
मरल करेजा भूलि चलू, अब खूँटा पर जाय।
नवकी कहि हिनके मोल,आ छिपकै रहू,
लाल चुनरी लिपटाय के,ढेरै हौंसला देखाय।
चलू, चलू हे ननकी, दुलहिन सखी,
अंचरा लहराय के, इ सब संसार दे।
माँ-बाप कत्ते दिन रखिहैं चिरैय के,
उठाई लेइ जाय एक दिन एहि जिनगी के।
पायल जेहन छनकाय,देखाबू कहूं जाय,
दूर कर दे ऊ गुर के, नई गुड़िया बनाय।
चलू, चलू हे ननकी, दुलहिन सखी,
अंचरा लहराय के, इ सब संसार दे।
—श्रीहर्ष—-