इस होली रंग लो मुझे, साजन अपने रंग
खुशियाँ लेकर आ गया, होली का त्यौहार
गाल रंगे गुलाल से, रंगों की बौछार
टेसू, सेमल खिल उठे, बजे बसन्ती राग
मस्ती, रंग, गुलाल से, देखो सजता फाग
देख गुलाबों की छटा, शरमाते हैं शूल
कितने रंग बिखेरते, कागज़ के भी फूल
पीली सरसों ने किया, स्वर्ण कनक मनुहार
नीली अलसी मिल हुआ, अजब धरा श्रृंगार
सभी होलिका पूजते, फागुन पूनम रात
कण्डों की होली जले, मानो अब ये बात
गले आज हम सब मिलें, भूल सभी टकराव
होलिका के संग जले, द्वेष बैर के भाव
लाल, गुलाबी, नीले, हरे, पिचकारी के रंग
भूल सभी कटुता चलो, होली खेले संग
महुआ है बौरा रहा, भांग नशे में चूर
रंग, अबीर, गुलाल से, मनः कलुष हो दूर
होली है की गूंज से, दिल में जगी उमंग
इस होली रंग लो मुझे, साजन अपने रंग
सब रंगों में देख लो, प्रेम रंग है खास
पिय रंग में रंग गई, मेरी इक इक श्वास
लोधी डॉ. आशा ‘अदिति’
भोपाल