इस बार भी
इस बार भी नहीं प्रकट
हर बार की तरह,
कि,
पुनः आरम्भ हुए संवाद की
अवधि कितनी होगी….?
कहीँ
एक बार फिर
यह अन्तहीन चुप्पी का
सूत्रपात तो नहीं ?
यह ठीक किसी कविता के उदय की तरह है
जैसे नहीं पता होता कि अगली रचना
कब फूटेगी….
फूटेगी भी या नहीं…..?
©निकीपुष्कर