मैं बड़ा ही उलझा रहता हूं।
इस जिंदगी की जरूरतों में मैं बड़ा ही उलझा रहता हूं।
फिर भी कुछ लिखने की मैं दिल से कोशिश करता हूं।।
बयां करने को तुम्हारी तरह मैं अल्फाज़ कहां से लाऊं।
एहसासों को समेटकर मैं कुछ बेअसर सा लिखता हूं।।
✍️✍️ ताज मोहम्मद ✍️✍️