Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
6 Oct 2024 · 1 min read

इस जग में पहचान का,

इस जग में पहचान का,
सिर्फ करम है मंत्र ।
इसके आगे व्यर्थ है,
जादू टोना तंत्र ।।

सुशील सरना / 6-10-24

32 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
हो गये हम जी आज़ाद अब तो
हो गये हम जी आज़ाद अब तो
gurudeenverma198
"हमारे बच्चों के भविष्य खतरे में हैं ll
पूर्वार्थ
बावला
बावला
Ajay Mishra
मा शारदा
मा शारदा
भरत कुमार सोलंकी
टिप्पणी
टिप्पणी
Adha Deshwal
वृक्षों की भरमार करो
वृक्षों की भरमार करो
Ritu Asooja
आज लिखने बैठ गया हूं, मैं अपने अतीत को।
आज लिखने बैठ गया हूं, मैं अपने अतीत को।
SATPAL CHAUHAN
फैला था कभी आँचल, दुआओं की आस में ,
फैला था कभी आँचल, दुआओं की आस में ,
Manisha Manjari
दोहा
दोहा
गुमनाम 'बाबा'
समंदर इंतजार में है,
समंदर इंतजार में है,
Manisha Wandhare
..
..
*प्रणय*
दिव्य-भव्य-नव्य अयोध्या
दिव्य-भव्य-नव्य अयोध्या
डा. सूर्यनारायण पाण्डेय
पुनीत /लीला (गोपी) / गुपाल छंद (सउदाहरण)
पुनीत /लीला (गोपी) / गुपाल छंद (सउदाहरण)
Subhash Singhai
सरहद सीमा मातृभूमि का🙏
सरहद सीमा मातृभूमि का🙏
तारकेश्‍वर प्रसाद तरुण
Education
Education
Mangilal 713
सरस्वती वंदना
सरस्वती वंदना
MEENU SHARMA
" दास्तां "
Dr. Kishan tandon kranti
दिल से हमको
दिल से हमको
Dr fauzia Naseem shad
🌻 गुरु चरणों की धूल🌻
🌻 गुरु चरणों की धूल🌻
जूनियर झनक कैलाश अज्ञानी झाँसी
You never come
You never come
VINOD CHAUHAN
बिन बुलाए कभी जो ना जाता कही
बिन बुलाए कभी जो ना जाता कही
कृष्णकांत गुर्जर
बह्र-2122 1212 22 फ़ाइलातुन मुफ़ाइलुन फ़ैलुन काफ़िया -ऐ रदीफ़ -हैं
बह्र-2122 1212 22 फ़ाइलातुन मुफ़ाइलुन फ़ैलुन काफ़िया -ऐ रदीफ़ -हैं
Neelam Sharma
3412⚘ *पूर्णिका* ⚘
3412⚘ *पूर्णिका* ⚘
Dr.Khedu Bharti
भूल
भूल
Neeraj Agarwal
छलियों का काम है छलना
छलियों का काम है छलना
©️ दामिनी नारायण सिंह
पग-पग पर हैं वर्जनाएँ....
पग-पग पर हैं वर्जनाएँ....
डॉ.सीमा अग्रवाल
बेटी
बेटी
पूनम 'समर्थ' (आगाज ए दिल)
*मनः संवाद----*
*मनः संवाद----*
रामनाथ साहू 'ननकी' (छ.ग.)
आज़ादी की जंग में यूं कूदा पंजाब
आज़ादी की जंग में यूं कूदा पंजाब
कवि रमेशराज
फुर्सत से आईने में जब तेरा दीदार किया।
फुर्सत से आईने में जब तेरा दीदार किया।
Phool gufran
Loading...