इस गुज़रते साल में…कितने मनसूबे दबाये बैठे हो…!!
क्यूँ ख़ामोशी में डूबकर,
खुद से नज़रे चुराये बैठे हो !
नया दौर तुम्हें पुकार रहा,
क्यूँ अपने सपनों पर..
यूँ अंकुश लगाये बैठे हो !!
उठो, जागो, और तैयार हो जाओ,
माना कि अभी वक़्त नहीं…पर
ये भी सच है कि..
अभी भी वक़्त है,
अपने अंतर्मन को निचोड़ दो..
अपने सामर्थ्य को पहचान लो…
क्यूँ मुश्किलों से हारकर,
खुद को भुलाये बैठे हो !!
तुम अँधेरी रात में,
एक भभकती मशाल हो !
आग की प्रतिफल ज्वाला,
बिल्कुल तुम्हारे मन में है !
क्यूँ मन की चिंगारी को तुम,
यूँ ही बुझाये बैठे हो !!
तुम थम ना जाना असफलताओं से,
देखो… बुलंदियों की नज़र तुम्हारी ओर है!
समंदर जितना शांत हो,
उतनी बड़ी सुनामी लाता है!
तुम ख़ामोशी को सँवारकार,
क्यूँ सुनामी दबाये बैठे हो !!
नया दौर तुम्हारा है,
चहुँ ओर उजियारा है!
सफलता की सोच से.. अब हर सुबह,
अपने उत्कर्ष को जोड़ दो!
ना सदा के लिए दुःख रूकता है,
और ना ख़ुशी रूकती है !
तो क्यूँ… अगले कल को सोचकर,
अपने आज में कसमसाये बैठे हो !!
शिकायते, और उम्मीदें,
और ना जाने क्या-क्या मन में छुपाये बैठे हो!
इस गुज़रते साल में…
जाने कितने मनसूबे दबाये बैठे हो !!
❤️ Love Ravi ❤️