Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
9 Aug 2024 · 1 min read

इसीलिए तो हम, यहाँ के आदिवासी हैं

(शेर)- कहो नहीं हमको वनवासी, हम तो आदिवासी है।
क्योंकि हम सदियों से, इस धरती के मूलनिवासी है।।
हम है प्रकृति के रक्षक, और हम सच्चे देशभक्त है।
कहते हैं हम गर्व से सिर ऊंचा कर, हम आदिवासी है।।
————————————————————————
आदिकाल से हम, यहाँ के निवासी है।
इसीलिए तो हम, यहाँ के आदिवासी है।।
इस जमीं- जल- जंगल के, हम है रक्षक।
क्योंकि इस प्रकृति के, हम मूलनिवासी है।।
आदिकाल से हम————————।।

प्रकृति से जो मिले, खुशी से खा लेते हैं।
प्रकृति का महत्व, सबको हम बतलाते हैं।।
प्रकृति के उपासक हम, प्रकृति के साथी है।
क्योंकि इस प्रकृति के, हम मूलनिवासी है।।
आदिकाल से हम————————-।।

महलों के नहीं प्यासे हम, जमीं पे सो जाते हैं।
मुसीबतों और खतरों से, हम टकरा जाते हैं।।
साधा जीवन जीते हैं, हम नहीं अभिमानी है।
क्योंकि इस प्रकृति के, हम मूलनिवासी है।।
आदिकाल से हम——————————।।

बिरसा मुंडा के वंशज हम, सच्चे देशभक्त है।
राणा पुंजा- बूंदा मीणा के, हम सच्चे भक्त है।।
मानगढ़ हम लोगों की, देशभक्ति का साक्षी है।
क्योंकि इस प्रकृति के, हम मूलनिवासी है।।
आदिकाल से हम—————————-।।

शिक्षक एवं साहित्यकार
गुरुदीन वर्मा उर्फ़ जी.आज़ाद
तहसील एवं जिला- बारां(राजस्थान)

Language: Hindi
Tag: गीत
47 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
#शिवाजी_के_अल्फाज़
#शिवाजी_के_अल्फाज़
Abhishek Shrivastava "Shivaji"
देखा
देखा
sushil sarna
इक चाँद नज़र आया जब रात ने ली करवट
इक चाँद नज़र आया जब रात ने ली करवट
Sarfaraz Ahmed Aasee
चाबी घर की हो या दिल की
चाबी घर की हो या दिल की
शेखर सिंह
मज़दूर दिवस
मज़दूर दिवस
Shekhar Chandra Mitra
खामोशी मेरी मैं गुन,गुनाना चाहता हूं
खामोशी मेरी मैं गुन,गुनाना चाहता हूं
पूर्वार्थ
अन्तर्राष्ट्रीय श्रमिक दिवस
अन्तर्राष्ट्रीय श्रमिक दिवस
Bodhisatva kastooriya
बेबस कर दिया
बेबस कर दिया
Surinder blackpen
श्रद्धांजलि
श्रद्धांजलि
नेताम आर सी
एहसान फ़रामोश
एहसान फ़रामोश
Dr. Rajeev Jain
डॉ अरुण कुमार शास्त्री
डॉ अरुण कुमार शास्त्री
DR ARUN KUMAR SHASTRI
#हिरोशिमा_दिवस_आज
#हिरोशिमा_दिवस_आज
*प्रणय प्रभात*
2609.पूर्णिका
2609.पूर्णिका
Dr.Khedu Bharti
हे राम तुम्हीं कण कण में हो।
हे राम तुम्हीं कण कण में हो।
Prabhu Nath Chaturvedi "कश्यप"
"सबक"
Dr. Kishan tandon kranti
मुहब्बत नहीं है आज
मुहब्बत नहीं है आज
Tariq Azeem Tanha
एक उड़ान, साइबेरिया टू भारत (कविता)
एक उड़ान, साइबेरिया टू भारत (कविता)
Mohan Pandey
शीर्षक - सोच और उम्र
शीर्षक - सोच और उम्र
Neeraj Agarwal
तन्हाई बड़ी बातूनी होती है --
तन्हाई बड़ी बातूनी होती है --
Seema Garg
माँ शेरावली है आनेवाली
माँ शेरावली है आनेवाली
Basant Bhagawan Roy
संवेदना का सौंदर्य छटा 🙏
संवेदना का सौंदर्य छटा 🙏
तारकेश्‍वर प्रसाद तरुण
काश.! मैं वृक्ष होता
काश.! मैं वृक्ष होता
Dr. Mulla Adam Ali
પૃથ્વી
પૃથ્વી
Otteri Selvakumar
अदम्य जिजीविषा के धनी श्री राम लाल अरोड़ा जी
अदम्य जिजीविषा के धनी श्री राम लाल अरोड़ा जी
Ravi Prakash
तुम्हारे स्वप्न अपने नैन में हर पल संजोती हूँ
तुम्हारे स्वप्न अपने नैन में हर पल संजोती हूँ
Dr Archana Gupta
मधुशाला में लोग मदहोश नजर क्यों आते हैं
मधुशाला में लोग मदहोश नजर क्यों आते हैं
कवि दीपक बवेजा
*कुंडलिया छंद*
*कुंडलिया छंद*
आर.एस. 'प्रीतम'
जिन्होंने भारत को लूटा फैलाकर जाल
जिन्होंने भारत को लूटा फैलाकर जाल
Rakesh Panwar
हर पल एक नया ख़्वाब दिखाती है ज़िंदगी,
हर पल एक नया ख़्वाब दिखाती है ज़िंदगी,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
कामुकता एक ऐसा आभास है जो सब प्रकार की शारीरिक वीभत्सना को ख
कामुकता एक ऐसा आभास है जो सब प्रकार की शारीरिक वीभत्सना को ख
Rj Anand Prajapati
Loading...