इसकी वजह हो तुम, खता मेरी नहीं
(शेर)- यह एक ऐसी कहानी है, जो खत्म कभी नहीं हो सकती।
यह पहेली है कुछ ऐसी, जो बुझ कभी नहीं सकती।।
तुम भूल सकते हो वो पल, वो दिन अपनी मुलाकात के।
मगर यह नजीर उस वक़्त की, कभी मिट नहीं सकती।।
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इसकी वजह हो तुम, खता मेरी नहीं।
यह कहानी ऐसी, यार बनती नहीं।।
अब इसका अंत, कोई नहीं। कोई नहीं।।
इसकी वजह हो तुम——————–।।
इतने नाराज हमसे, तुम क्यों हुए।
अपने होकर भी दूर, तुम क्यों हुए।।
यकीन था हमें तो, तुम पर बहुत।
हमपे यकीन तुमको, था कुछ नहीं। था कुछ नहीं।।
इसकी वजह तुम हो——————-।।
तेरी बुराई जो, करते थे बहुत।
उनसे तुम प्यार, करते थे बहुत।।
बदनामी तुम्हारी, किसने की है।
हमने तो फजीहत, की थी नहीं। की थी नहीं।।
इसकी वजह हो तुम——————-।।
हम तो दुश्मन बने, तुम्हारे लिए ही।
लहू हमने बहाया, तुम्हारे लिए ही।।
फिर भी हमको बदनाम, तुमने किया।
यह जख्म दिल पे, मिट सकता नहीं। मिट सकता नहीं।।
इसकी वजह हो तुम———————।।
शिक्षक एवं साहित्यकार
गुरुदीन वर्मा उर्फ़ जी.आज़ाद
तहसील एवं जिला- बारां(राजस्थान)