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28 Feb 2018 · 1 min read

इश्क़ में गम का तराना

बात ही कुछ ऐसी है,गम का तराना गाने लगा हूँ।
देखा जबसे तुमको मैंनें,तबसे प्यार करने लगा हूँ।।

ऑंखें चार होती है जब,मन में खटक सी हो जाती है।
आँखों का कसूर क्या है,आँखें तो ये भटक ही जाती है।।
देखने के लिए सनम तुमको,अब मैं तरसने लगा हूँ।
बात ही★★★★★★★★★★★।।

देखा जब मैनें पहली दफा,तेरे प्यार का रंग चढ़ा मुझे।
प्यार करता बहुत हूँ मैं,आज तक बता न सका तुझे।।
याद में तेरी अब मैं हर पल,अश्क बहानें लगा हूँ।
बात ही★★★★★★★★★★★।।

गम के बादल सिर्फ लपेटे,घूम मैं रहा हूँ।
तेरी यादों में बस हर पल,तड़प मैं रहा हूँ।।
जीना चाहूँ मगर यहाँ,घुट-घुट के मरने लगा हूँ।
बात ही★★★★★★★★★★★।।

रचयिता-कवि कुलदीप प्रकाश शर्मा”दीपक”
मो.नं.-9628368094,7985502377

Language: Hindi
Tag: गीत
231 Views
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