इश्क
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इश्क ऐसा कसूर होता है
इक न इक दिन जरूर होता है।।
कौन इससे अछूता है आखिर
दिल तो सबका हुजूर होता है।।
प्रेम पूजा कभी इबादत है
हमको इस पर गुरुर होता है।।
भावना शुद्ध पाक निर्मल हो।
इसका इक ही सऊर होता है।।
वेवफा हो न अब जुदा कोई
दिल बहुत चूर चूर होता है।।
प्यार का जब जुनून छा जाए
रुख पे ऐसा सुरूर होता है।।
हैं गुनहगार सब जमाने में
बेवजह ही फितूर होता है।।
✍?ज्योति श्रीवास्तव साईंखेड़ा