**इश्क में क्या मिला है हमें**
**इश्क में क्या मिला है हमें**
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इश्क में क्या क्या मिला है हमें,
किसी से भी नहीं गिला है हमें।
बंद यादों का पिटारा न खुले,
चाह कर भी हम कहीं न मिले,
जाम हाथों में थमाया है हमें।
इश्क में क्या क्या मिला है हमें।
उदासियों में अरमां गुम हो गए,
खुशियों पर भारी गम हो गए,
उम्रभर का मिला सिला है हमें।
इश्क में क्या क्या मिला है हमें।
ख्वाब हकीकत के न बुन सके,
ये फैसला खुद का न चुन सके,
गम ए रंज ने सदा चुना है हमे।
इश्क में क्या क्या मिला है हमे।
रंग ए चमन फीका है मनसीरत,
मक्का काबा सनम में है तीरथ,
आशिकी का छाया नशा है हमें।
इश्क में क्या क्या मिला है हमें।
इश्क में क्या क्या मिला है हमें।
किसी से भी नहीं गिला है हमें।
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सुखविंद्र सिंह मनसीरत
खेड़ी राओ वाली (कैथल)