इश्क के हालात पे
इश्क की हालात पे सनम ना रोइए
अगर जाना हैं छोड़कर दामन मेरा तो सौंख से जाइए।।
बेबसी के सितम इश्क में ना उठाइए
अगर इश्क से दम घुटने लगा है तो बेझिझक दूर चले जाइए।।
अब इश्क़ की आंखों से शिकायत ना फरमाइए
अगर इश्क जंजीर बन गया है तों पिंजरा लेकर उड़ जाइए।।
इश्क है खिलौना नहीं,इसे यूं बार-बार ना तोड़िए
अगर मुहब्बत निभा नहीं सकते तो बार-बार इसे ना आजमाइए।।
इश्क के आग में ना खुद ज़रिए या उसे जलाइए
अगर झुलसने लगा है मन इश्क में तो उसे शोला ना बनाइए।।
अच्छा होगा समय पर इश्क को पहचानिए
कह रहीं हैं जी”नीतू”पहले खुद को इश्क में आंकिए।।
नीतू साह
हुसेना बंगरा, सीवान -बिहार