इश्क अगर
इश्क अगर
खुदा है…..
इश्क अगर
इबादत है…..
इश्क अगर
सारा जहान है…..
तो फिर इश्क करनें वालों को
सारे जहान में खुदा की इबादत के बराबर दर्जा क्यों नहीं मिला
या फिर इश्क को दूसरा खुदा क्यों नहीं कहा गया????
शिव प्रताप लोधी