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26 Sep 2024 · 1 min read

इश्क़ में क्या अज़ाब है साहिब,

इश्क़ में क्या अज़ाब है साहिब,
दे दो जो भी जवाब है साहिब।

आँख मिलते ही चढ़ गया नश्शा,
लग रही वो शराब है साहिब।

चाँद कह तो दिया तुम्हें हमने,
किसलिये फिर नकाब है साहिब।

हमको झिड़को न यूँ ख़ुदा वास्ता,
दिल हमारा गुलाब है साहिब।

रौशनी हो गई है राहों में,
साथ वो माहताब है साहिब।

सांस कितनी तमाम की हमने,
कौन रखता हिसाब है साहिब।

तुमने छोड़ा है जबसे हाथ मिरा,
हर तरफ़ इज़्तिराब है साहिब।

लोग सागर जिसे समझते थे
वो उफनती चिनाब है साहिब।

शोर “पंकज” है कितना गलियों में,
आ गया क्या नवाब है साहिब।

पंकज शर्मा “परिंदा”

Language: Hindi
56 Views

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