इश्क़ और इंकलाब
चलो आप बड़े आए
मुहब्बत करने वाले
इक बर्बाद शायर पर
इनायत करने वाले…
(१)
मतलब निकलते ही
धीरे से कहीं चल देंगे
जज़्बात क्या समझें
तिजारत करने वाले…
(२)
मजनूं और मंसूर का
हश्र तो याद होगा ही
एजाज़ कहां पाते हैं
बग़ावत करने वाले…
(३)
आख़िर अपने ज़मीर से
नज़र कैसे मिलाएंगे
सियासी ख़ुदाओं की
इबादत करने वाले…
(४)
इस देश और समाज के
गुनहगार हैं जो लोग
हरगिज़ नहीं हम उनसे
रिआयत करने वाले…
(५)
इश्क़ हो या इंकलाब
बुजदिलों का काम नहीं
मेरे साथ चलें सिर्फ़
हिमाकत करने वाले…
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Shekhar Chandra Mitra
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