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13 Mar 2022 · 1 min read

इल्जाम

प्यार की राह पे जरा संभल के चलना,
न किस्सा ये कहीं,सरेआम हो जाए।
कहीं लग न जाए रोग तुम्हें इश्क का,
और मेरे ही सर पर इल्जाम आ जाए।

?????
रचना- मौलिक एवं स्वरचित
निकेश कुमार ठाकुर
गृह जिला- सुपौल (बिहार)
संप्रति- कटिहार (बिहार)
सं०-9534148597

Language: Hindi
2 Likes · 245 Views
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