इल्जाम
जिंदगी है के जहन्नुम दिक्कतें तमाम।
दिन का क्या कहें अब दुस्वार है शाम।
किया होता तो क़ुबूल हो जाता
नेकियों की गिनती कम हजारों इल्जाम।
जिंदगी है के जहन्नुम दिक्कतें तमाम।
दिन का क्या कहें अब दुस्वार है शाम।
किया होता तो क़ुबूल हो जाता
नेकियों की गिनती कम हजारों इल्जाम।