इल्जाम ऐ बेवफाई—शेर —डी के निवातियाँ निवातियाँ
ऐ जिंदगी किस मोड़ पर तू ले आयी
ना मैं खुद का रहा न किसी और का !!
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दोष किस्मत का कहे या फिर कमी खुद की
मुहब्बत को सुना बहुत, आँखे दो-चार न हुई !!
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जिंदगी के मोड़ पर बड़े अजीब दौर से गुजरे हम
पाक ऐ दामन के बदले इल्जाम ऐ बेवफाई मिली !!
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सह लेते दर्द ऐ बेवफाई भी बड़े शौक से हम
कमबख्त दो पल की वफ़ा कर जाता कोई !!
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याराना हो गया है अपना वीरानियों से
खण्डहर सा हो गया है ये दिल जब से !!
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@______डी के निवातियाँ______@