इरादों से हथेली पर
बदल लें खुद को तो,
यह दुनिया भी बदल ड़ाले ।
इरादो से हथेली पर
मुकद्दर अपना लिख ड़ाले ।
मुमकिन है सब,
नामुमकिन नहीं कुछ भी ।
यकीं करके खुदी पर,
क्यूँ न खुदी को आज़मा ड़ाले ।।
डाॅ फौज़िया नसीम शाद
बदल लें खुद को तो,
यह दुनिया भी बदल ड़ाले ।
इरादो से हथेली पर
मुकद्दर अपना लिख ड़ाले ।
मुमकिन है सब,
नामुमकिन नहीं कुछ भी ।
यकीं करके खुदी पर,
क्यूँ न खुदी को आज़मा ड़ाले ।।
डाॅ फौज़िया नसीम शाद