इम्तेहान का शौक
आखिर धडकनों में इतनी तेज़ी ,
और नज़रों में इतनी बेताबी क्यों है ?
क्या फिर कोई इम्तेहान मेरा जिंदगी लेने वाली है।
मेरी जिंदगी को इम्तेहानो का इतना शौक क्यों है ?
आखिर धडकनों में इतनी तेज़ी ,
और नज़रों में इतनी बेताबी क्यों है ?
क्या फिर कोई इम्तेहान मेरा जिंदगी लेने वाली है।
मेरी जिंदगी को इम्तेहानो का इतना शौक क्यों है ?