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3 May 2024 · 1 min read

इमारत बुनियाद और मलबा

“इमारत, बुनियाद और मलबा”

जब कभी भी इमारतें मलबे में तब्दील हुईं हैं
बताया ये गया लोग मलबे में दब कर मर गए

ये इमारत भी बनी थी उन्हीं ईंटों सिमट गारों से
फिर क्या हुआ, कि ये मलबा बन कर रह गए

सब जानते हैं, दोष कभी मलबे का नही होता
कुछ कारीगर हैं, जो अपना काम कर जाते हैं

लोग अक्सर बुनियादी सवालातों को छोड़ कर
अफसोस ज़ाहिर करने में ही शाम कर जाते हैं

हर शख़्स हो चौकस अपनी जिम्मेवारी के लिए
देखिए फिर इमारत के हालात कैसे सुधर जाते हैं

जो मज़बूत हो बुनियाद तो ज़माने संवर जाते हैं

~ नितिन जोधपुरी “छीण”

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