इन तूफानों का डर हमको कुछ भी नहीं
(शेर) – मैं भारत का बेटा हूँ , भारत ही मेरा वालिद है । यह धरती मॉं मेरी जननी , यह वतन ही मेरा मालिक है ।।
मर भी जाऊं अगर मैं इसके लिए , तो मुझको इसका गम नहीं ।
बस गम यही है कि हम , उनके काबिल नहीं है ।।
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(गीत)- बढ़ चले हैं कदम अब तेरी राह में , पीछे मुड़ने का अब कोई काम नहीं ।
हम चले हैं कफन सिर पे बांधकर , इन तूफानों का हमको डर कुछ नहीं ।।
बढ़ चले हैं कदम अब तेरी राह में ————————–।।
तेरी अस्मत को , कोई आकर लूटे ।
तेरी धरती को , कोई आकर बांटे ।।
करके तुझसे दगा , हमला तुझपे करें ।
तेरा चैनो- अमन , कोई जालिम लूटे ।।
लुटती इज्जत तेरी देख सकते नहीं , सह सकते नहीं ।
ऐसे में हमको जीने का हक कुछ नहीं , हक कुछ नहीं ।।
बढ़ चले हैं कदम अब तेरी राह में ————————–।।
हमपे तेरा ऐ मॉं , बहुत अहसान है ।
सबको देना पनाह , तेरा ईमान है ।।
यह तिरंगा कभी नहीं , झुकने देंगे ।
तु ही अरमां मेरा , तु मेरी शान है ।।
बहते आंसू तेरे देख सकते नहीं, सह सकते नहीं ।
तुझपे मरने का गम हमको कुछ भी नहीं , डर कुछ भी नहीं ।।
बढ़ चले हैं कदम अब तेरी राह में ———————–।।
शिक्षक एवं साहित्यकार
गुरुदीन वर्मा उर्फ जी. आज़ाद
तहसील एवं जिला- बारां(राजस्थान)