इन झील सी गहरी आंखों ने
इन झील सी गहरी आंखों ने
दुखों का शैलाब देखा है
उन आंसुओं का क्या?
जो रोकने से भी नही रुकती
बूढ़ी सफेद बालों ने
गालों को सहलाकर कहा-
तुम्हारे हर दुःख दर्द का
मैं मुकम्मल प्रमाण हूं
कभी वक्त मिले तो,
मुझे भी संवार लेना।